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प्रफुल्लित रघुकुल के वृंदावन शुभ संस्कृति नव संस्कारों हो दीप्तिमान अंत करो दुष्टों का सीता का सम्मान करो धरती संरक्षण करो दुख बुढ़ापे बेटियों

Hindi दुख-तम का तुम हरण करो Poems